Friday, June 8, 2012

कुरान में शैतान की आयते(कुरान के अनुसार शैतान अल्लाह और मोहम्मद से अधिक बुद्धिमान हैं)


जैसा के मैं आपको बता चूका हू के अल्लाह की तीन बेटीया हैं कुरआन भी इस बात की पुष्टि करती हैं | देखिये कुरआन की सूरा अन नज्म की आयत १९ और २० का प्रमाण, ये मक्का में उतारी आयते हैं |
Q53:19-20:तो क्या तुमने लात और उज़्ज़ा (19) और तीसरी एक और (देवी) मनात पर विचार किया? (20)
यहाँ अल्लाह खुद उसकी बेटियों पर विचार करने को कहे रहा हैं |
ना केवल इतना मोहम्मद ने अल उज्जा की पूजा की थी | देखिये प्रमाण
हादिस शाही बुखारी : जिल्द ७ किताब ६७ संख्या ४०७
अब्दुल्लाह ने बताया :
अल्लाह के दूत ने कहा के जैद बिन अम्र नुफैल से बलदाह के पास मिले और ये सब अल्लाह के दूत के अध्यात्मिक प्रेरणा पाने से पहले हो चूका था | अल्लाह के दूत ने जैद बिन अम्र को गोश्त का एक व्यंजन (जो उस काफिर द्वारा पेश किया जा चूका था ) भेट किया लेकिन जैद ने उसमे से खाने से इनकार कर दिया और फिर मूर्तिपूजको से कहा तुम अपनी बलिवेदी पर जो बलि देते हो वो मैं नहीं खाता ना ही मैं वो बलि खाता हू जिसपर अल्लाह के नाम के अलावा कुछ और वर्णन किया गया हो |
इब्न इशाक की सिरा के पृष्ठ २६-२७ में यही बात मिलती हैं |
हिशाम इब्न अल कलबी के पृष्ठ १७ पर इसी भी इस बात की पुष्टि होती हैं |
http://answering-islam.org/Books/Al-Kalbi/uzza.htm
अब देखिये जैद की बुद्धि मोहम्मद से ज्यादा प्रकाशित थी क्यों की वो तो कोई पैगम्बर और नबी भी नहीं था |
एक तरफ कुरान कहती हैं के मोहम्मद कभी बहका नहीं दूसरी तरफ हम इसका प्रमाण देखीये |
Q53:02-तुम्हारी साथी (मुहम्मह सल्ल॰) न गुमराह हुआ और न बहका; (2)
http://tanzil.net/#trans/hi.farooq/53:2
इन बातो से ये तो समझ में आता ही हैं के मोहम्मद मूर्तिपूजक था खुद मूर्तिपूजा का विरोध करने से पहले | अब आखिर उसने अल्लाह की बेटियों की बात क्यों कही(हमारे लिए कुरान मोहम्मद के शब्द हैं) जब के वो खुद को पैगम्बर साबित करने पर तुला हुआ था | तो हमें गहराई में जाना होगा की ये आयते कब उतरी किन परिस्तिथियों में उतरी | दरअसल मोहम्मद और उसकी नफरत की शिक्षाओं के कारण मुसलमान मूर्तिपूजको और उसके ही कबीले कुरैशो को दिन रात गाली देते थे झगडा करते थे | और उनको बराबर मोहम्मद भडकता रहता था (आज वही काम कुरान में सुरक्षित उसकी शिक्षाए कर रही हैं) तो तंग आकार वहा के लोगो ने मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार शुरू कर दिया | जैसे मुसलमानों के आत्मघाती हमले का कोई समाधान नहीं उसी प्रकार गैर मुसलमानों का मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार का कोई उपाय नहीं | 
तो ऐसे वक्त में मोहम्मद ने अल्लाह की बेटियों की तारीफ की इन २ आयतों में १९-२० | उसकी ये आयते देते ही कुरैश बहुत खुश हो गए | मुसलमानों को लगा के अब उन्हें मक्का में दिक्कत नहीं होगी तो जो कुछ मुस्लमान अबसिनिया चले गए उनमे से ३० मुसलमान वापस आ गये | पर वहा के कुछ मुसलमानों ने इस्लाम छोड दिया मोहम्मद की वैचारिक स्थिरता ना देख कर |
पर जल्द मोहम्मद को जल्द ही अपनी गलती का एहसास हुआ के उसने तो अल्लाह और लोगो के बीच मध्यस्त तैयार कर दिया अब मोहम्मादुर रसूल इल्लाह की लोगो की जरुरत क्या | इसलिए उसने इन २ आयतों को शैतानी घोषित करते हुए मनसुख यानी रद्द कर दिया | हमारे मुस्लिम आलिम भाई भी यही बात मानते हैं के ये शैतानी आयते हैं यानी शैतान ने ये आयते लाकर रसूल को दी थी | तो अब देखिये इसी मान्यता अनुसार शैतान कितना बुद्धिमान हैं के प्रथम तो उसने अल्लाह को बेवकूफ बनाया फरिस्ते जो डाकिये का काम करते थे अल्लाह और पैगम्बर के बीच में उनकी जगह शैतान ने ले ली और अल्लाह तो अल्लाह उसने उसके रसूल को भी बेवकूफ बनाया | ये बात मुसलमानों को तो माननी पड़ेगी क्यों की मोहम्मद को तो वो चालबाज़ मानेंगे नहीं हम तो मुसलमानों की खुशी में खुश हैं | अब जरा हम उन नयी आयतो को भी देख ले जो पूर्व की आयतों को रद्द करती हैं कुरआन की यही तो विशेषता हैं के आगे की आयत पीछे की आयतों को रद्द करती चलती हैं ठीक वैसे ही जैसे कुरान पूर्व की किताबो को रद्द करती हैं |

आगे बढते हैं
Q21-22:“क्या तुम्हारे लिए तो बेटे है उनके लिए बेटियाँ? (21) तब तो यह बहुत बेढ़ंगा और अन्यायपूर्ण बँटवारा हुआ! (22)
यानी जब आप लोग लडको की कामना करते हैं तो अल्लाह की कैसे लड़किया हो सकती हैं ये अन्याय हैं | देख रहे दोहरे मापदंड एक तरफ तो अल्लाह की ही परिभाषा ही यही थी के उसके जैसा कोई नहीं और दूसरी तरफ मोहम्मद ने इंसानों से खुदा की तुलना की और खुदा इंसानों की तरह ही लड़का लड़की का ख्याल रखता हैं | फिर भी मोहम्मद ये नहीं कह सका के खुदा के कोई लड़का लड़की नहीं हो सकता यहाँ तो ये सिद्ध हो रहा हैं के उसके लड़का नहीं लड़की हैं शायद मोहम्मद में झिझक थी क्यों की आर्थिक बहिष्कार जो की ६१७ ई से ६१९ चला था उसका दबाव रहा होगा | और आगे बढते हैं, मोहम्मद ने फिर शब्दों का खेल चालु किया जो के मुसलमान आज भी करते हैं |
 Q23-25: वे तो बस कुछ नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए है। अल्लाह ने उनके लिए कोई सनद नहीं उतारी। वे तो केवल अटकल के पीछे चले रहे है और उनके पीछे जो उनके मन की इच्छा होती है। हालाँकि उनके पास उनके रब की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है (23) (क्या उनकी देवियाँ उन्हें लाभ पहुँचा सकती है) या मनुष्य वह कुछ पा लेगा, जिसकी वह कामना करता है? (24) आख़िरत और दुनिया का मालिक तो अल्लाह ही है (25)
तो क्या मोहम्मद के लिए सनद(प्रमाण पत्र) उतारी हैं ? कहे कुरान तो वो कोई सनद नहीं उस वक्त तो कुरान पूरी भी नहीं हुई थी फिर मोहम्मद न अपने पैगम्बर होने का प्रमाण दे सका और ना ही कुरान के इश्वरी होने का फिर दूसरों से क्या बोल रहा हैं |
और अटकले(?) क्या अल्लाह ये भी नहीं बोल पा रहा के मेरी कोई लड़की नहीं | मोहम्मद सीधे-२ हिम्मत नहीं कर पा रहा था इसलिए घुमा फिर के २ अर्थो वाले वाक्य बोल रहा था | अगर कुरैश चर्चा करने आये तो अल्लाह की बेटिया हैं ये तो माना और अगर मुस्लमान आये तो वो कुछ कर नहीं सकती क्यों के चमत्कार नहीं करती अल्लाह ही आखिरत में सब देखेगा | अब सोचिये जरा अल्लाह इतने देवी देवताओं में सिर्फ ३ का ही नाम ले रहा हैं |
बात सिर्फ यहाँ कुरैशो को खुश करने की थी इस कारण इन सबसे मोहम्मद की चालबाजीया ही साबित होती हैं पर मुस्लमान तो मोहम्मद का नाम आते कुछ सुनेंगे ही नहीं | तो हम शैतानी आयते १९ और २० को मुसलमानों की खुशी के अनुसार मान शैतानी मान लेते हैं पर शैतान के आगे मोहम्मद और अल्लाह दोनों मुर्ख सिद्ध होते हैं ऐसी मान्यता से |
अन्तराष्ट्रीय विद्वान सलमान रुश्दी (भूतपूर्व मुस्लिम) ने अपनी पुस्तक "दी सैटनिक वेर्सेस" में यही बात समझाई हैं | इन शैतानी अयातो की तफसीर बड़े बड़े आलिमो ने नहीं की तफसीरे तुस्तरी में १८ के बाद सीधे ४८ आयत आती हैं, जलायानी भी इन दो आयतों की व्याख्या नहीं करते सिर्फ अनुवाद करते हैं | मुस्लिम भाइयो चिंतन करिये की कितनी विरोधाभासो से भरी हुई है कुरान | इश्वर के ज्ञान से आप दूर हैं |

2 comments:

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  2. Is anuvaad aur vyakhya me eershya bhav koot-koot kar bhara hai, quraan kibyakhya se acchha hai aap log VED aur PURAN ki vyakhya kar len ye log to ho sakta hai vah-vahi mil jaaye lekin quran ki vyakhya karke kuchh bhi haath nahi lagega, jis eeshvar ne antim rishi ke baare me ALLOPNISHAD jisme Allah Rasool Muhammad jaise shabd dekar jahir kar diya antim rishi ki pahchaan, aaj koi shatir dimaag iske ulat vyakhya kare to uska pralay kaal ke baad eeshvar usko kya phal milega is baat ki usko zara bhi fiqr nahi hai, yaad rakho sooraj ko patthar marne wale ko uska hi patthar usee ke sar par girta hai

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