Wednesday, June 22, 2016

मुसलमानों का स्वस्थ रहना आवश्यक है : आत्मावलोकन २

  सिर्फ इसलिए के हम वो लिखते है जो जिहादी मुस्लिम कर रहे पूरी दुनिया में या उन्होंने किआ हम मुसलमानों से घृणा करने वाले नहीं हो जाते | हम भारतीय मुसलमानों को अपना भाई मानते है और मानते रहेंगे | हमने पूर्व में एक लेख लिखा था मुस्लिम इतना बीमार क्यों पड़ते है ? वह यर्थाथता पर था | मुस्लिम वास्तव में बीमार पड़ते है किसी अन्य समाज की तुलना में अधिक | उनमे भी हमने ये पाया के मुस्लिम समाज की स्त्रियों को कैंसर जैसे रोग अधिक होते है | भारत से लेकर पाकिस्तान तक के मुस्लिमो में हमने ये पाया | इसका कोई एक कारण तो नही सामने आया | पर मूल कारण समझ में आया | और वो मूल कारण है शरीर के स्वभाव विपरीत भोजन करना |
इसका क्या अर्थ हुआ ? साधारण भाषा में वो चीज़े खाना जो आपके लिए विष का कार्य कर रही है | आयुर्वेद के ज्ञान का अभाव आपके लिए समस्या खड़ी कर रहा है | इस क्षेत्र में गोर भी अधिक जागरूक है | समाज जो हमारे समाज के साथ रह रहा है उसे स्वस्थ रहना ही चाहिए | क्यों की जो बीमारी फैलती है वो हिन्दू मुसलमान भेद नही करेंगी | हम पर विश्वास न करे पर हमारी बात में कितनी यर्थाथता है इस पर तो चिंतन करे | विष वो होता है जिस शरीर पचा न सके प्रतिक्रिया स्वरुप शरीर में रोग उत्पन्न होते है | कई बार दो विपरीत गुण का भोजन करने से भी सामान्य सा आहार विष में परिवर्तित हो जाता है |
 लोग चाय काफी के तुरंत बाद यदि कोल्ड ड्रिंक पी लेंगे तो गला तो बैठेगा ही | इसी प्रकार अन्य विषय भी जानने चाहिए | दुनिया के सारे रोग कही न कही से या तो हमारे आहार से आते है या अनियमित दिनचर्या से या किसी अन्य व्यक्ति से | स्वस्थ कौन नहीं रहना चाहता फिर भी हर कोई बीमार है उसका कारण यही है की हमे ज्ञान ही नही हम क्या खाए क्या ना खाए | इस विषय में हम आपको सुझाव देंगे की आप स्वर्गीय श्री राजीव दीक्षित जी के स्वास्थ संबधी वीडियो देखे | आयुर्वेद की लघु पुस्तके पढ़े | प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति थोडा रुझान रखे अतः ज्ञान रखे | और स्वस्थ सोचे किसी का बुरा यदि हम और आप सोचते है तो सबसे पहले उसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है | इसलिए वैदिक संस्कृति का एक सूत्र तो आप ले ही लीजिये | सर्वे भवन्तु सुखिनः सब सुखी रहे सर्वे सन्तु निरामयः सब निरोगी रहे | ये भावना यदि आप में आगई तो लोग आपको स्वीकार करेंगे और आपको ये दुनिया ही स्वर्ग से कम प्रतीत नही होगी |

जो आपको बुद्धि से न ठीक लगे ऐसे सिद्धान्तो को त्याग दीजिये | दिमाग की बेडिया तोड़ने में सामाजिक बेडिया तोड़ने से अधिक कम समय लगेगा | विचारशील बनिए विचारशील जीवन बिताइए अटके मत रहिये जो आपका हाफ़िज़ आपको बचपन में पढ़ा गया | सिर्फ मान लेने से सत्य सामने नही आजाता | आपको अपनी मान्यता को जानना भी होगा ताकि आपका जीवन सत्य के निकट रह सके |
सर्वे भवन्तु सुखिनः सब सुखी रहे ओ३म्

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