Wednesday, April 18, 2012

बुत परस्त योनी पूजक मुसलमान

दुनिया में सबसे ज्यादा चिल्ला चिल्ला के मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले मुसलमान हैं | पर असल में सबसे ज्यादा और सबसे बड़े मूर्तिपूजक मुसलमान ही हैं | मुसलमानों को लड़ने का बहाना चाहिए कोई भी जिस से वे लड़ सकते हैं | आपस में लड़ते हैं कोई भी बहाना लेकर और बाहर ईश बहुदेववाद तो बहुत बड़ा बहाना हैं, कत्लेआम के लिए | खैर हम ये जानते हैं के मुसलमान मूर्तिपूजक कैसे हैं ? मूर्ति भी ऐसी वैसी नहीं योनी की, एक योनी की मूर्ति के सामने ना केवल झुकते हैं अपितु चुमते भी हैं |

काबा मंदिर सम्राट विक्रमादित्य का बनवाया हुआ था(प्रमाण के लिए इंस्ताबुल के मखताब-ई-सुल्तानिया में रखा सायर उल ओकुल देखे) | मंदिर में यज्ञ की जगह वाम मार्गियो का कब्ज़ा हो गया वाम मार्गी शिव लिंग स्थापित हो गया | उस समय आर्यो का साम्राज्य घट कर अर्व प्रदेश (अब अरब) तक ही रहे गया था | पांच छह सौ सालो में हमारा साम्राज्य और घट कर गांधार प्रदेश (अब अफगानिस्तान जिसकी राजधानी कंधार हैं) तक ही रह गया | अर्व में कोई केन्द्रीय सत्ता ना होने के कारण वहा नित नए कबीले बनते गए नए-नए पैगम्बर निकलते थे जैसे आज भारत में नित नए ढ़ोंगी बाबा होते हैं | अब्दुल मत्तलिब जो की मोहम्मद का दादा था काबा मंदिर में शिव लिंग के दर्शनार्थ आये तीर्थ यात्रियो का प्रबंधन कर्ता था | हजरे-अस्वद (काला पत्थर अस्वाद अश्वेत का अपभ्रंश हुआ ) वाम मार्गी शिव लिंग था जिसमे औरते अपना मासिक धर्मं का रक्त लगाती थी संतान की कामना के लिए | जो चार दीवारों पर सीधे गडा हुआ था उसकी छत भी रही हैं जिसकी छत पर एक समय अल्लाह की मूर्ति लगाईं गई थी | अल्लाह प्राचीन अर्व वालो का देवता था जिसकी तीन पुत्रिया थी | बाढ़ में कहते हैं वो मूर्ति गिर गई थी | जो आज जो नमाज पढते हैं वज्रासन में बैठ के उसमे कुछ नया नहीं शिव लिंग के सामने और अल्लाह की मूर्ति के सामने मुसलमान ऐसे ही झुकते थे | अब देखिये संयोग हिन्दुओ के पास पूजने के लिए लिंग रह गया और मुसलमानों के पास योनी |
समय बदला मोहम्मद ने गुंडा गर्दी से सत्ता हथियाई अपने परिवार को तो मुसलमान नहीं बना सका | उसके दादा ने इस्लाम कुबूल नहीं किया | उस से बेइंतहा प्यार करने वाले उसके चाचा अबू तालिब ने भी कभी इस्लाम स्वीकार नहीं किया | और सत्ता आने के बाद भी मोहम्मद लोगो की आस्था उस प्राचीन शिव मंदिर से ना हटा सका | तो उसे ही स्वीकारता दे दी गई | कारण था के जैसे अजिपति यानि इजिप्ट के लोंग अपने प्राचीन संस्कृति पर गर्व करते हैं और नहीं छोड़ते | इंडोनेसिया के मुसलमान अभी भी रामायण मंचन करते हैं वैसे ही अर्व के लोंग भी थे | बस भारत के ही कुछ मुसलमान भाई अपने हिंदू (आर्य) पूर्वजो के गौरव को नहीं मानते हैं | हजरे अस्वाद को मान्यता देने से मोहम्मद के कुल का धंधा भी चलता रहा तो हज मुसलमानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया | लोंग भी खुश, मोहम्मद का परिवार भी खुश और आमदनी बढ़ी सो अलग, अर्व को आस्था की सुरक्षा मिली सो अलग | अब विषय ये हैं बुत परस्ती क्या होती हैं ? क्यों गलत हैं ? और मुसलमान कैसे हुए बुत परस्त ?
तो देखिये बुत परस्ती कहते हैं जड़ वस्तु यानी किसी निर्जीव चीज़ से जीवित चीज़ जैसा व्यवहार करना | बुत यानि मूर्ति बनाना कभी गलत नहीं ये तो कला का प्रतिक हैं | हां मूर्ति से इंसान जैसा व्यहवार करना अल्प बुद्धि का प्रतिक हैं | शिव लिंग जो की हजरे अस्वद हैं उसके सामने दिन भर में मुसलमान पाच बार झुकते हैं और हिन्दुओ को बुत परस्त कह के गलत कहते हैं | हुए ने झगडालू बिना बात के झगडा करने वाले | अरे मूर्तिपूजक हिंदू भी निराकार ईश्वर को मानते हैं पर अल्लाह तो इंसान स्वरुप ही हैं मोहम्मद का और प्राचीन अर्व वासियों का कल्पित देव | मोहम्मद को तो बस एक ऐसा साधन चाहिए था जिसके नाम से वो सारे गलत काम कर सके |
मुस्लिम तकिया (इस्लामिक झूठ) – हजरे अस्वद सिर्फ एक पत्थर हैं चिन्ह के लिए | उसकी पूजा नहीं करते |
समीक्षा : अगर केंद्र वाली बात करते हैं तो नापने का पत्थर केंद्र में होता हैं ना के दीवार में गडा होता हैं | सो भी वो किनारे आया |
 देखिये जो पूजते नहीं तो पत्थर कर क्या रहा हैं वहा ? जिस तरह हिन्दुओ की आस्था को ठेस पहुचाते हुए कासिम गौरी ने हिन्दुओ की मूर्तियों का अपमान किया काबा मंदिर में लगे पत्थर को निकाल के पेशाब घर में क्यों नहीं लगा देते ? हिन्दुओ की मूर्तियों को तो खूब गन्दी जगहों पर लगाया गया हैं हिन्दुओ की आस्था को ठेस पहुचाने के लिए अगर पत्थर मुसलमानों की आस्था का विषय नहीं |
लंगड़ाबहाना : मूर्ति पूजा नहीं हम मुसलमान एकता में विश्वास करते हैं इसलिए वो पत्थर वहा हैं |
समीक्षा : चिन्ह केंद्र में होता हैं दीवार में गाडा नहीं जाता | उस चिन्ह को चूमा नहीं जाता | उसके लिए झगडा भी नहीं किया जाता | मील का सूचक पत्थर टूट जाता हैं तो दूसरा लगा दिया जाता हैं | 
खुद मोहम्मद अंधविश्वासी मूर्तिपूजक था उसने पत्थर की योनी को चूमा था प्रमाण देखिये |
Volume 2, book of Hajj, chapter 56, H.No. 675. Umar (may Allah be pleased with him) said, “I know that you are a stone and can neither benefit nor harm. Had I not seen the Prophet (pbuh) touching (and kissing) you, I would never have touched (and kissed) you”.
यानी के "मुझे पता हैं के तुम सिर्फ एक पत्थर हो जो ना ही किसी फायदे का हैं और ना ही नुकसान हैं, पर मैंने अगर मोहम्मद को तुम्हे कहते और चुमते ना देखा होता तो मैं भी तुम्हे ना चूमता और छुता |"
ये तो पत्थर की योनी थी मोहम्मद ने तो इतनी औरते रखी हैं के क्या क्या चूमा होगा आप खुद ही अनुमान लगाये |
देखा आपने कैसे मोहम्मद ने अन्धविश्वास को बढ़ाया | किस अधिकार से मुसलमान दूसरों का मूर्तिपूजा का विरोध करते हैं उनका सिर्फ एक ही मतलब हैं के वो मूर्ति पूजो जो हम पूजते हैं ना की वो जो तुम लोंग |


१९८६ में इस्लाम के एक फिरके ने उसपर हमला कर दिया था | शिव लिंग टूट गया और अब चांदी से जुड़ा हुआ हैं |
मुसलमान झुकते किसके सामने हैं ? ये तो अब सब जान गए हैं के अल्लाह मिया हैं यानी आदमी जैसा हैं? वो रहता भी सातवे आसमान पर हैं | वे झुकते हैं उस अल्लाह की मूर्ति की जगह पर जहा वो रखी थी बाढ़ मे गिरने से पहले | और उस शिव लिंग पर जिसके दर्शन को दूर-दूर से लोंग आते थे |
इस्लाम एक सम्प्रदाये हैं जो वाम मार्गी सम्प्रदाये से काफी आगे निकल गया हैं | वाम मार्गियो के सम्प्रदाये तो व्यभिचार और मांसाहार तक ही सिमित था | मोहम्मद ने वाम मार्ग को लूट,हत्या,डकैती,बलात्कार और दूसरों से नफरत करने की बुलंदियों तक पहुचा दिया | निराकार ईश्वर के उच्च सिद्धांत को समझना मोहम्मद जैसे व्यभिचारी के बस की बात कहा थी | खुद मानव योनी का दुरूपयोग कर के नर्क(निकृष्ट जीव योनी) में गया और दुनिया के अरबो मुसलमानों का पतन करवा गया | मुस्लिम भाइयो ईश्वर एक हैं निराकार हैं वह सबसे प्रेम करने वाला भेदभाव ना करने वाला न्यायकारी हैं | वो सभी जगह हैं उसे सातवे आसमान पर बैठने की जरुरत नहीं | जो ईश्वर परमात्मा हर जगह हैं उसे किसी पैगम्बर की जरुरत नहीं | ये पैगम्बर ढ़ोंगी बाबाओ जैसा ही चल रहा था जब मोहम्मद ने भी खुद को पैगम्बर घोषित किया | अल्लाह के नाम पर उसने वो सारे गुनाह किये और करवाए जो मानवता ही हदे तोड़ते थे | जिसने उस पर सवाल उठाया उसे मरवा दिया गया इसलिए भी आप लोंग हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं उसके गलत कामो पर शंका होने के बावजूद | देखिये मानव जन्म बार बार नहीं मिलता बड़ी मुश्किल से मिला हैं कई जीवो की योनियों को पार कर के इसे यु बर्बाद ना करिये | इस्लाम को छोडिये और वैदिक धर्मं को जानिए वापस अपने बाप दादाओ के धर्म को वापस आजाइए |

Tuesday, April 10, 2012

अवतारी निर्मल बाबा का समाज को लाभ

मर गए हमारे ऋषि मुनि तपस्या करते-करते पर बेचारे ऐसे सिद्ध पुरुष नहीं हो पाए जैसे हमारे निर्मल बाबा हैं | ऋषि मुनियों को योगिक सिद्धियो के लिए सरे सुख छोड कर हिमालय की कंदराओ में जाना पड़ता था अथा तपस्या करते थे और तब जा कर परमात्मा की कृपा होती थी | पर हमारे निर्मल बाबा ने तो अब तक के सारे कीर्तिमान तोड़ दिए ऐसे कृपा बरसाई के हमें समझ आगया के हमारे समाज का क्या होने वाला हैं |
अब देखते हैं हमें क्या क्या लाभ हुए एक दम से निर्मल बाबा के प्रादुर्भाव से |
१. हिंदू समाज का भविष्य
हमें अपना भविष्य साफ़-२ दिख रहा हैं एक वक्त था जब बच्चे देने वाले बाबा होते थे | औरते आशीर्वाद लेने जाती थी और बाबा उन्हें गर्भवती  कर देते थे | पर आज जमाना बदल गया हैं बाबा एडवांस हो गए हैं और साफ़ सुथरे भी कितने हैं | केवल टिकेट लो और बाबा के मू से निकल जाए कृपा होगी काम बन गया | कोई विज्ञान नहीं, कोई ईश्वर उपासना नहीं, कोई वेदादि शाश्त्रो के अध्यन का झंझट नहीं | बल्कि ईश्वर का तो कही काम ही नहीं हैं | ऐसे ज्ञानी समाज का भविष्य कितना उज्जवल होगा आप अनुमान करे |
२. जिम्मेदार मीडिया 
हमें कभी नहीं पता होता के हमारी मीडिया इतनी जिम्मेदार हैं | समाज में अंधविश्वास मिटाने की जिम्मेदारी इतने अच्छे से निभा रही हैं मीडिया | कोई भी डिमांड वाला बाबा अपनी कमाई का एक हिस्सा इनको देने को तैयार हो जाये तो बस देखिये ये आपने चैनल में समय देने को तैयार हो जायेंगे | फिर कुछ समय में बाबा का अपना चैनल होगा | शुक्र मानिए के निर्माल बाबा से ही मीडिया जिम्मेदारी निभा रही हैं अगर ज़ाकिर नायिक  को समय देने लग गई तो बाबा के भक्त कैसे साफ़ हो जाएँगे |
३. बढ़ता राजस्व, बढ़ता आधार भुत ढाचा
सरकार को तो अपने राजस्व से मतलब हैं | निर्मल बाबा इतना कमा रहे हैं तो सरकार को कर चुकायेंगे | कर चुकायेंगे , जिस से सड़के बनेगी बिजली घर बनेंगे इत्यादि इत्यादि हुआ ना लाभ | ये मत सोचिये के बाबा धन का क्या करेंगे बाबा का धन से ही कल्याण होगा | आखिर इतनी कृपा कर रहे हैं तो कुछ अरब संपत्ति नहीं जूटा सकते | साईं बाबा पार्ट २ की तरह अब हर कोई तो वो धन समाज सेवा में खर्च कर के पाप कम करेगा नहीं |
४. बढ़ती प्रतियोगिता
बाबाओ की मार्केट गरम हैं | निर्मल बाबा के आने से अब छुट पुट बाबाओ की महत्वकांचा बढ़ गयी होगी | अब सब नए नए तरीके सोच रहे होंगे के कैसे वे भी सरकार का राजस्व बढ़ाए | अब देखिएगा बाबाओ की बाढ़ आजाएगी | जनता की आस्था तो चुएगी |
५. परमात्मा की छुट्टी 
देखिये अब इन बाबाओ से सबसे ज्यादा लाभ तो परमात्मा को हैं | उसको लोगो ने लंबी छुट्टी पर भेज दिया हैं | अब लोगो को ईश्वर की जरुरत नहीं | टिकेट कटाएये इक्छा पूरी पाइए |
और अवतारी तो कहना ही पड़ेगा मुझे क्यों ये बाबा अब तक थे कहा ? मुझे नहीं लगता ये बाबा माँ के गर्भ में ९ मास उलटा लटके होंगे | मुझे नहीं लगता बाबा कुछ खाते होंगे या जाते होंगे या धोते भी होंगे |
समाज पर कृपा तब होगी जब चमत्कार दिखाने वालो पर लोंग चप्पल गोबर में भिगो के मारेंगे, तभी उन पर कृपा होगी | क्यों की केवल वही समाज होगा जिसे परमात्मा के स्वरुप, गुण कर्म स्वाभाव के बारे में पता होगा |

Sunday, April 8, 2012

नरेंद्र मोदी, डा. सुब्रमण्यम स्वामी और बाबा रामदेव


डा स्वामी मोदी और रामदेव में आपको चुनने को कहा जाए तो आप किसे चुनेंगे ?
इस लेख में इन्ही तीनो की सापेक्ष योग्यता पर हम चर्चा करेंगे | क्यों की हमें नतीजो से मतलब होता हैं |
सरकार गिरने की संभावनाए लगने जा रही हैं | नरेन्द्र मोदी जी की सद्भावना कार्यक्रम योजना का हिस्सा थी | पर वे तुष्टिकरण की निति पर ना थे ना होंगे | अपनी प्रसाशनिक क्षमताओ की वजह से प्रधानमंत्री पद के सर्वोच्च दावेदार हैं | अविवाहित हैं और कार्य शैली भिन्न हैं | मुस्लिमो को डर हैं के मोदी ना जाए उधर बाबा समर्थक कहते हैं के दंगा पीडितो को बहुत मदद करने वाले मोदी हैं | मैं कहता हू की फिलिस्तीन को सबसे ज्यादा मदद करने वाले २ देश हैं और वो हैं प्रथम इस्राएल और द्वतीय सयुक्त राज्य अमेरिका | यही निति होती हैं | जान का नुक्सान ही नुक्सान होता हैं माल तो फिर अर्थ से बना लिया जाता हैं | इसलिए मोदी एक जाचा परखा नेता हैं जिसका वर्तमान में विकल्प नहीं हैं |



फिर डा सुब्रमण्यम स्वामी पर आते हैं | हॉवर्ड में गेस्ट लेक्चर लेते थे आई आई टी में प्रोफसर थे | अब जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं और सोनिया की कांग्रेस की ऐसी तैसी कर रहे हैं | ये वही स्वामी हैं जिन्होंने अटल बिहारी वाजपई की सरकार गिरवाई थी और ये वही स्वामी हैं जिन्होंने सोनिया को प्रधान मंत्री नहीं बनाने दिया | एक साक्षात्कार में इन्होने बताया के सोनिया गांधी का राजीव गाँधी के हत्यारों को माफ करने के लिए राष्ट्रपति से याचिका की थी और इसी बात से वे नाराज हैं | बात भी सही हैं दुनिया की कौन औरत होगी जो अपने पति के कातिलों को माफ कर देगी | अब यहाँ हमें देखना होगा औरत कौन हैं इतिहास क्या हैं | १९९१ में सोनिया गाँधी और राजीव गाँधी का रिश्ता तलाक करीब था जब राजीव गाँधी की हत्या हुई | समय भी वहा था जब आई पी के एफ के जवान तैनात थे और प्रभाकरन के माध्यम से एल.टी.टी.इ में धर्मान्तरण हो रहा था | वर्ड क्रिस्टियन कौंसिल काफी पैसा खर्च कर रहे थे इस काम में | तभी एल.टी.टी.इ अचानक बेवजह के इल्जाम के लिए राजीव गाँधी को मार देती हैं | सम्भावना तो ये हैं के इसाइयो के संगठन की भारत में सेंधमारी की उम्मीद खत्म सि होती नजर आ रही थी सो पेच ही खत्म कर दिया और सोनिया सर्वे सर्व हो गई | राजीव गाँधी इतने भ्रष्ट लोगो की लिस्ट छोड के गया हैं और पैसा भी के कांग्रेसी तो सोनिया के जुते के नीचे आयेगे ही | दबाव बनाने के लिए गोटे थी उनके पास | ५-६ साल राजनीती सीखी सोनिया ने, अब हाई स्कूल फ़ैल के ली ये जरुरी हैं | पर समय से बलवान क्या हैं एन डी ए के आते ही पूरा मिसनरी कुनबा सतर्क हो गया और आथा पैसा लगा के कांग्रेस गठबंधन यु.पी.ए को ले आया |
सोनिया तकनिकी कारणों से प्रधान मंत्री नहीं बन पाई | धन्यवाद जाता हैं डा स्वामी को , उन्होंने उसी साल यानी २००४ में चंद्र शेखर और जोर्ज फेर्नादिस के साथ मिल कर “राष्ट्रीय स्वाभिमान मंच” की स्थापना की यु.पी.ए की नीतियों का विरोध करने को | बाद में(२००७) ये सब उन्होंने बाबा रामदेव को दे दिया कार्यभार | गौर करने वाली बात ये हैं के बाबा रामदेव को उठाने वाले मुलायम सिंह हैं | पर अगर डा. स्वामी बाबा को ना लगते इन कामो में तो समाजवाद का प्रचार कर रहे होते बाबा | यद्दपि उन्होंने अपने साक्षात्कर में स्वीकार किया के वे बाबा का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं | पर राजनितिक विश्लेषक तो ये बहुत बेहतर समझते हैं के डा स्वामी कितनी ऊची चीज़ हैं | उनके कुशाग्र बुद्धि और स्पष्ट वक्तव्यों का मैं भी प्रशंशक हू और मानता हू के आने वाली भारत सरकार में वे उच्च पद के अधिकारी हैं |
आज बड़े स्तर पर हिंदू वादी और कांग्रेस विरोधी बाबा रामदेव से जुड रहे हैं | बाबा के स्वदेशी के चक्कर में अपना इस्लामीकरण, लव जिहाद, इसीकारण के विरुद्ध कार्य करना उन्हें दिख नहीं रहा | राष्ट्र पर दसो संकट हैं किसी एक के भरोसे ना रहिये | जहा समर्थन चाहिए दीजिए उन्हें पर अपना मुख्य काम क्यों छोड रहे हैं | बाबा अगर हिंदू मुस्लिम एकता की बात कर रहे हैं आप क्यों फस रहे हैं चक्कर में | देखिये बाबा जी का कोई वजूद नहीं हैं वो आज यहाँ कल वहा वाले हैं | प्रमाण हैं उनके साहसिक कार्य, हरिद्वार में ज़मीन हथियाने में किये गए भ्रष्टाचार | भाई राजीव दीक्षित की मौत पर मीडिया में ना दिया गया एक भी बयां | और खुद अपने ही गुरु के आश्रम पर कब्ज़ा कर के गुरु को गायब करवा देना |







मीडिया बिकी हुई हैं पर जो लाइ हैं वो सच हैं | बाबा व्यक्तिगत तौर पर मुलायम सिंह यादव के ही साथ के भाई हैं | शिवपाल सिंह को जानते हैं ना मुलायम सिंह के भाई बस बाबा भी उन्ही के पदचिन्हों वाले हैं | कोई भगवा पहनने से सन्यासी नहीं हो जाता ज्ञान और आचरण से होता हैं | बाबा खाप पंचायतो का समर्थन करने लग गए इन्हें खुद गोत्र का अर्थ नहीं पता सिर्फ जातो के वोट के लिए | खुद को आर्य कहलाने वाले बाबा शिव लिंग पर जल चढाते हैं मूर्तीयो पर माला पहनाते हैं | यानी इनका वैचारिक कोई वजूद नहीं आप चाहे कोई भी हो पर ये मानेंगे के व्यक्ति में सैधांतिक स्थिरता होनी चाहिए | हठ योग विशेष परिस्तिथियों के लिए ही हैं पर बाबा उसी का प्रचार कर रहे हैं ठीक हैं राजनितिक महत्वकंछा  होना भी बुरा नहीं | पर राजनैतिक वैचारिक स्थिरता के साथ | अब अगर बाबा राम भक्तो के हत्यारे मुलायम सिंह का साथ देंगे तो आप भूल जाइये के बाबा इस्लामीकरण या इसाईकारण रोकने की हिम्मत करेंगे | सपा को तो संभवतः पैसा मिलता हैं अरब देशो से मुसलमानों के लिए ऐसे ही नहीं ये कौम से गद्दारी कर रहे हैं | पर बाबा शुरू में किये गए एहसान उतार रहे हैं या अपनी जाती का साथ निभा रहे हैं ये तो वो ही जाने | 

सन्यासी की कोई जात नहीं होती, वह निर्भीक सिर्फ राष्ट्र समाज और धर्म का उत्थान सोचता हैं ना ही सन्यासी एक जगह रुकता हैं और ना ही कोई डेरा जमाता हैं | अरे मठो को छोड कर तो लोंग सन्यास लेते हैं सन्यास लेकर मठ नहीं बनाते | तो आप से यही अनुरोध हैं के बाबा रामदेव सिर्फ कार्टून हैं जिसका डा स्वामी जैसे विद्वान इस्तेमाल कर रहे हैं जो एक दम सही हैं अंध भक्ति मत करिये | आपको भी यही करना चाहिए, स्वदेशी बोलकर वो तो अपना सामन बेच रहा हैं | उसके चक्कर में आप मूल मुद्दे ना भूल जाए जो राष्ट्र की मुस्लिम और ईसाइयो से रक्षा का हैं | बाकी किसी पद की योग्यता नहीं, पर आप ठहरे बाबा भक्त आप भक्ति से राजनीती देखेंगे और मुझे गलिया देना चालु कर देंगे तो देश तो चौपट होगा ही | जीतने वाले घोड़े पर दाव लगाना चाहिए भाइयो गधो पर नहीं उनसे तो सिर्फ माल ढुलाई की जाती हैं वही आप भी करिये अन्यथा कुछ समय बाद जोश ठंडा हो जाएगा और ना हिंदुत्व(वेद) का कार्य कर पाएँगे ना राष्ट्र का |

Monday, April 2, 2012

मुस्लिम आरक्षण मतलब व्यवस्था का इस्लामीकरण

भाइयो, सपा उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से आगई हैं | कारण यही हैं मुस्लिम समर्थन २० फीसदी संगठित मत सरकार बना देते हैं | अब मुस्लिम आरक्षण का वादा जैसा की सपा ने किया था पुरा किया वो करने भी जा रही हैं |
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा कर दी हैं | मुस्लिम आरक्षण का मतलब समझते हैं आप लोंग ?
केवल हिन्दुओ का अधिकार नहीं जाएगा | यादवो और दलितो का हक ही नहीं जाएगा बल्कि पूरी व्यवस्था बदलने का इस्लाम का दूसरा कदम शुरू हो जाएगा |
यह इस्लामीकरण का दूसरा चरण हैं और हमें किसी हाल में इसे नहीं होने देना हैं |
जी हां दूसरा चरण पहला चरण था सिर्फ बच्चे पैदा करना बिना कुछ और सोचे वो मुस्लिमो ने कर लिया और २५ फ़ीसदी तक पहुच गए हैं बाकी लव जिहाद से आबादी संतुलित कर लि | अब दूसरा चरण हैं व्यवस्था में जगह बनाना | मुस्लिम ना पढते हैं ना पढेंगे पर घर का एक इंसान भी पढ़ गया तो चपरासी से लेकर बाबू तक की जगह पर अपना आदमी बैठा देगा | हिन्दुओ का सूपडा  साफ हो जाएगा | एक तो पहले से भ्रष्ट व्यवस्था ऊपर से मुसलमान जो हिन्दुओ से नफरत करते हैं और उन्हें मजहबी आजादी हैं गलत काम करने की काफ़िर हिन्दुओ के साथ | आप देख ले स्नातक स्तर पर कितने मुस्लिम होते हैं इसीलिए ए बी वी पी कामयाब रही वरना काफी खून खराबा होता विश्विद्यालय स्तर पर अगर मुस्लिमो की थोड़ी भी आबादी होती |
५० साल से पढाई लिखाई ना कर रहे और अब आरक्षण की बैसाखी चाहिए | ये ना पढ़े तो हम दोषी हैं हिंदू हक क्यों मारा जाए ?
तो ये लोंग वहा तक पहुचते ही नहीं हैं पर इस वक्त ये शिक्षा पर ध्यान दे रहे हैं इनकी आर्थिक स्थित भी सुधरी हैं | पर ये चाह कर भी हिन्दुओ की बौधिकता से मुकाबला नहीं कर सकते इसलिए आरक्षण तो चाहिए ही इन्हें |
ये लोकतंत्र के रहते होगा भी पर अगर अभी हुआ तो जो इस्लामिक देश २०४०-२०५० में बनेगा वो २०२०-२०२५ में ही हो जाएगा | इसलिए सडको पर आने को तैयार रहो चाहे कुछ हो जाए मुस्लिम  आरक्षण नहीं आने देंगे |
वरना मुसलमानों के कहर से आपको कोई नहीं बचा पाएगा | पुलिस  से लेकर सरकारी अस्पताल तक में ये होंगे मारेंगे भी ये और दवा भी नहीं देंगे   |
हिन्दुओ अपने लिये नहीं तो अपने बच्चो के लिए जागो और बताओ इन कथिति हिंदू नाम के मुल्ले नेताओ को के हिंदू ताकत क्या हैं | जो आरक्षण सिर्फ आजादी  १० साल के ली था उसे अनिश्चित काल और अब तो संविधान विरुद्ध करवाई धार्मिक आधार पर आरक्षण | लानत हैं ऐसे लोकतंत्र पर......
जागो वरना उठाने का मौका नहीं मिलेगा ................

मुसलमानों को आरक्षण दिया जायेगा: अखिलेश

आज यानि दिनांक ०४/०२/२०१२  के दैनिक जागरण के प्रथम प्रष्ठ पढ़ा आपने.....चलिएअब पढ़ लीजिए
लखनऊ, जागरण ब्यूरो : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों की रोशनी में मुसलमानों को आर्थिक, सामाजिक व शैक्षिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा मानते हुए दलितों की तरह जनसंख्या के आधार पर अलग से आरक्षण दिया जायेगा। सपा सरकार रंगनाथ मिश्र आयोग और सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करवाने के लिए केन्द्र सरकार पर पूरा दबाव डालेगी। जो सिफारिशें राज्य सरकार के ल्ल शेष पृष्ठ 9 पर
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=30&edition=2012-04-02

मुसलमानों को आरक्षण ..
जरिये लागू हो सकती है उन्हें पूरे प्रदेश में बहुत जल्द लागू कराया जायेगा। मुख्यमंत्री अखिलेश ने रविवार को मोअल्लिम-ए-उर्दू वेल्फेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री आवास पर भेंट के दौरान यह बातें कहीं। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मोअल्लिम-ए-उर्दू डिग्री धारकों को उनकी समस्याओं के निराकरण का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उर्दू को बढ़ावा देने के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में प्राइमरी, मिडिल व हाईस्कूल स्तर पर सरकारी उर्दू मीडियम स्कूलों की स्थापना की जायेगी। उर्दू भाषा को रोजी रोटी से जोड़ते हुए नौकरियां दी जायेंगी। मदरसों में तकनीकी शिक्षा के लिये विशेष बजट का समायोजन होगा। मोअल्लिम-ए-उर्दू वेल्फेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की मांग थी कि प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक उर्दू के पदों पर नियुक्ति कर मोअल्लिम-ए-उर्दू डिग्रीधारकों को बीटीसी के समकक्ष माना जाए। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि फरवरी में तत्कालीन बसपा सरकार में जब वह अपनी मांग उठा रहे थे तो उन पर लाठीचार्ज किया गया था।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=30&edition=2012-04-02&pageno=9#id=111737045471195896_30_2012-04-02
अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और मुसलमानों का वोट इन्हें इसी लिए मिला | पर इसका अर्थ समझते हैं आप भारत ३०-४० साल पहले ही इस्लामिक देश बन जाएगा अगर अभी आरक्षण लागू हो गया | हिंदू हक जाएगा सो जाएगा एक मुस्लिम अंदर घुसते ही पूरी व्यवस्था में बदलाव कर देगा | ये आरक्षण नहीं व्यवस्था का इस्लामीकरण होगा |
अब हम इस मुद्दे पर विस्तार से लिखेंगे "मुस्लिम आरक्षण-व्यवस्था का इस्लामीकरण"